आरती की जगह बदली गई, छोटी नावों का चलना बंद, तटवर्ती इलाकों में दहशत, केंद्रीय जल आयोग के अनुसार गंगा के जलस्तर में दो सेंमी प्रति घंटे की रफ्तार से बढ़ाव दर्ज किया गया, गंगा का जलस्तर 63.54 मीटर दर्ज किया गया, ऐसे ही रहा तो अब गलियों और छतों पर जलेंगी चिताएं
-सुरेश गांधी
वाराणसी : बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी में मानसून के बावजूद भले बारिश ना हुई हो, लेकिन गंगा मइया अपनी पूरी लय पर हैं. पहाड़ों से आई पानी के चलते गंगा मइया का रौद्र रुप दिखने लगा है। हालात ये हैं कि लगातार जलस्तर बढ़ने से काशी के वाराणसी के 84 पक्के घाट जलमग्न हो चुके हैं. एक-दुसरें घाटों का संपर्क भी टूट गया है। इससे गंगा द्वार से काशी विश्वनाथ धाम में प्रवेश बंद हो चुका है। कई मंदिर-देवालय भी डूब गए हैं। दशाश्वमेध समेत विभिन्न घाटों पर होने वाली आरती का स्थल बदल चुका है। घाट किनारे सहित तटवर्ती इलाकों में गुजर-बसर करने वाले लोगों का जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है. घर-गृहस्थी गंगा में समाने व पलायन का खौफ सताने लगा है। गंगा की सहायक नदी वरुणा में पलट प्रवाह का खतरा बढ़ गया है। माना जा रहा है कि अगस्त के पहले पखवारे तक गंगा का रुख और भी तल्ख हो जाएगा। बता दें, इन दिनों पहाड़ी और चंबल इलाके में हुई बारिश के चलते बनारस में गंगा का जलस्तर तेजी से बढ़ रहा है। गंगा में बढ़ते जलस्तर के कारण दशाश्वमेध घाट के सामने वाले रेतों में कटान बहुत तेजी से जारी है। फिलहाल, यहां तीन-चौथाई रेत गंगा में बह चुके हैं। वहीं अस्सी घाट के सामने वाले रेत अब नजर नहीं आ रहे। बाढ़ के पानी में जलकुंभी बहकर आ रही है। इससे घाट किनारे जलकुंभी जमा होने से स्नान करने पहुंचे श्रद्धालुओं को परेशानी हो रही है।
केंद्रीय जल आयोग के अनुसार गंगा के जलस्तर में दो सेंमी प्रति घंटे की रफ्तार से बढ़ाव दर्ज किया गया है। बुधवार सुबह 8 बजे तक गंगा का जलस्तर 63.54 मीटर दर्ज किया गया। गंगा का जलस्तर 70.262 मीटर पर चेतावनी और 71.262 खतरा बिंदु है। बीते चौबीस घंटों में 3.4 मिमी तक बारिश दर्ज की गई है तो दूसरी ओर 30 मिमी प्रति घंटे की गति से गंगा में जलस्तर बढ़ रहा है। गंगा घाटों पर आने वाले श्रद्धालुओं और बोटिंग करने वालों पर पुलिस द्वारा कड़ी नजर रखी जा रही है। हरिश्चंद्र घाट के श्मशान स्थल से कुछ ही दूरी पर गंगा की लहरें हैं। बढ़ाव की रफ्तार को देखते हुए बुधवार तक श्मशान स्थल बदल सकता है। ठीक यह हालत मणिकर्णिका घाट की भी है। उधर, नाविकों ने अभी गंगा में नौका संचालन बंद नहीं किया है। ओवरलोडिंग नावों का संचालन बदस्तूर जारी है। अभी गंगा का जलस्तर खतरे के निशान से 8 मीटर नीचे है।
जलस्तर में तेज बढ़ाव के साथ गंगा का पलट प्रवाह भी तेज होने की आशंका गहरा गई है। इसके चलते वरुणा के तटवर्ती इलाकों में भी बाढ़ का खतरा मंडराने लगा है। गंगा घाटों का आपसी संपर्क टूट चुका है। उन्हें जोड़ने वाले सभी रास्तों पर पानी भर गया है। गंगा में तेज बढ़ाव को देखते हुए वरुणा के तटवर्ती इलाकों दनियालपुर, पिसौर, बेदौली, कोटवा, छितौनी, मथुरापुर मजीदिया घाट, कोरौत, कोईराजपुर, चमांव, अहिरान, इमिलिया घाट इलाकों में बाढ़ का खतरा मंडराने लगा है। इन मोहल्लों के लोग पलायन की तैयारी करने लगे हैं। प्रशासन ने तटवर्ती इलाकों से जुड़े पुलिस थानों को निगरानी बढ़ाने का निर्देश दिया है। बाढ़ चौकियां सतर्क कर दी गई हैं। जल पुलिस गंगा में स्नान करने वाले श्रद्धालुओं और लोगों को लगातार गहरे पानी में नहीं जाने की चेतावनी दे रही है.