लखनऊ : ‘जाके पांव न फटी बेवाई, वो का जाने पीर पराई’ बिल्कुल सही कहा गया है कि जिसे कभी चोट न लगी हो वह दूसरों की पीड़ा का अहसास कैसे कर सकता है! सेवा से बड़ा कोई धर्म नहीं होता। खासकर असहाय,लाचार और बुजुर्ग रोगियों की सेवा करने पर जिस सुख-शांति का अहसास होता है, उसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता।
इसी मंशा के निमित्त दुर्गाष्टम सेवा मंडल की महामंत्री आरती रानी ने बुजुर्ग कुष्ठ रोगियों और बीमार लोगों में फल-दूध और नाश्ते का वितरण किया। इस अवसर पर आरती रानी ने बताया कि बीमार और बुजुर्ग लोगों को पौष्टिक आहार की सख्त जरूरत होती है। यह सीख मुझे अपनी माता सरोज सिंह से मिली है। आरती रानी ने कहा कि वह समय-समय पर आगे भी ऐसे आयोजन करती रहेंगी। वह जल्द ही बुजुर्गों के लिए मेडिकल कैंप का आयोजन भी करेंगी।