हिन्दू पक्ष के अधिवक्ताओं ने यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड पर लगाया जालसाजी का आरोप, ज्ञानवापी मामले में अब 18 को सुनवाई
-सुरेश गांधी
वाराणसी : ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी और अन्य ग्रहों के नियमित दर्शन पूजन मामले की पोषणीयता पर शुक्रवार को चौथे दिन भी सुनवाई हुई। हिन्ूदू पक्ष की तरफ से सुप्रीम कोर्ट के सीनियर अधिवक्ता हरिशंकर जैन और विष्णुशंकर जैन ने मुस्लिम पक्ष की आपत्तियों पर अपनी दलीले पूरी कर ली है। तकरीबन दो घंटे की बहस के बाद मामले में अब अगली सुनवाई 18 जुलाई सोमवार को होगी। जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत में ज्ञानवापी मामले की पोषणीयता पर सुनवाई के दौरान हिंदू पक्ष की ओर से मंदिर पक्ष के वकील हरिशंकर जैन ने यूपी सुन्नी वक्फ बोर्ड पर गंभीर आरोप लगाए। ज्ञानवापी को वक्फ संपत्ति घोषित करने को जालसाजी और बहुत बड़ा फ्रॉड बताया। कहा, जिस भूखंड आराजी संख्या 9130 (विवादित परिसर) को वक्फ की संपत्ति बताई जा रही रहा उसका कोई दस्तावेज मौजूद नहीं है। यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने कोर्ट और जनता को गुमराह किया। उन्होंने कहा कि वक्फ बोर्ड में दर्ज 100 नंबर रजिस्ट्रेशन के बाबत कोई भी सबूत नहीं है। वक्फ बोर्ड देश की सरकारी संपत्तियों को इसी तरह कई जगहों पर कब्जा कर रहा है और हिंदू सो रहे हैं। उन्होंने अपनी दलील में वक्फ असेट्स मैनेजमेंट सिस्टम ऑफ इंडिया की बेबसाइट पर उपलब्ध विवरण का हवाला देते हुए कहा कि ज्ञानवापी प्रॉपर्टी के वक्फ का नोटिफिकेशन, वक्फ रजिस्ट्रेशन तिथि, वक्फ निर्माण की तिथि, प्रॉपर्टी का खाता, खसरा, पट्टा, प्लॉट नंबर निल दिखाया गया है। जहां तक प्रॉपर्टी का सवाल है तो वह शहर में होने के बावजूद मंडुआडीह ग्रामीण एरिया में दर्ज बताया गया है। जिस स्थान को विशेष उपासना स्थल कानून 1991 बनने से पहले हिंदुओं का पूजा स्थल घोषित कर दिया गया उस स्थान पर यह कानून नहीं लागू होता है। धार्मिक स्वरूप के मुद्दे पर कहा कि वेद, शास्त्र, उपनिषद, स्मृति, पुराण से साबित है कि पूरी प्रॉपर्टी मंदिर की है।
अधिवक्ताओं ने कहा कि जबरदस्ती घुस आने से व नमाज पढ़ लेने से वो मस्जिद की संपत्ति नहीं हो जाती। कहा कि हमारे अधिकार का अतिक्रमण किया गया। 1993 से पहले ब्यास जी के तहखाने में और जगह जगह पर पूजा की जाती रही। लेकिन उसे बैरिकेडिंग कर जबरन रोक दिया गया। विश्वनाथ मंदिर एक्ट के सेक्सन 5 के तहत यह प्रॉपर्टी देवता में निहित हो गई तब विशेष धर्म उपासना स्थल कानून लागू नहीं हो सकता। दलील में कहा कि ऑर्डर 7 रूल 11 के आवेदन में जो बात कही गई है उसी पर कोर्ट विचार करेगी। इसके इतर विपक्षी जो भी बात कहेंगे उस पर विचार का कोई औचित्य नहीं है। जिन स्थलों पर पूजा करने का अधिकार विशेष धर्म उपासना स्थल एक्ट 1991 आने से पहले पूजा का अधिकार प्राप्त था उन स्थलों पर यह एक्ट प्रभावी नहीं है। सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने मीडिया से बातचीत में कहा कि देवता की संपत्ति पर वक्फ हो ही नहीं सकता। हम चाहते है कि औरंगजेब ने जो तलवार से हासिल किया था उसे कोर्ट अपनी कलम से सही करे ताकि यह सिद्ध हो सके कि तलवार से ज्यादा शक्ति कलम की होती है। उन्होंने कहा कि 1960 में बना यूपी सेंट्रल सुन्नी वक्फ बोर्ड पर काशी विश्वनाथ मंदिर एक्ट 1983 प्रभावी है क्योंकि यह राष्ट्रपति से अनुमोदित है।
हमारे अधिकारों को हुआ हनन
हरिशंर जैन का कहना है कि उपासना स्थल (विशेष उपबंध) अधिनियम, 1991 में हमारे अधिकारों का हनन हुआ है। सेक्शन 3 और सेक्शन 4(1) हम पर लागू होता है। इसका सुबूत है कि तहखाने में व्यासजी पूजा करते थे। उनकों वर्ष 1993 में बाहर किया गया। बैरिकेडिंग के बाद जो पूजा देवताओं की होती थी उसे रोक दिया गया था। जो जगह-जगह होती थी। वहां हिंदू पूजा करते थे दस जगह पर जो पूजा हो रही थी उसे रोका गया।
18 को राखी सिंह की तरफ से अधिवक्ता करेंगे बहस
मामले में वादी नंबर दो से पांच तक की तरफ से अधिवक्ता हरिशंकर जैन और विष्णुशंकर जैन ने बहस पूरी कर ली। अदालत ने सुनवाई की अगली तारीख 18 जुलाई नियत की है। उस दिन वादी राखी सिंह की तरफ से अधिवक्ता मानबहादुर सिंह, शिवम गौड़ और अनुपम द्विवेदी बहस जारी रखेंगे। अदालत में सुनवाई के दौरान डीजीसी सिविल महेंद्र प्रसाद पांडेय, डीजीसी फौजदारी आलोक चन्द्र शुक्ल, अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी के अधिवक्ता अभयनाथ यादव, रईस अहमद, वादी पक्ष के लोग और उनके अधिवक्ता सुधीर त्रिपाठी, सुभाष नन्दन चतुर्वेदी, पंकज कुमार वर्मा आदि मौजूद रहे।
अखिलेश-ओवैसी मामले में सुनवाई दो अगस्त तक टली
वाराणसी के ज्ञानवापी स्थित वजू स्थल पर गंदगी करने और धार्मिक भावनाएं भड़काने के मामले में एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी, सपा प्रमुख अखिलेश यादव समेत दो हजार लोगों पर मुकदमा दर्ज करने के आवेदन पर शुक्रवार को वाराणसी की अदालत में शुक्रवार को सुनवाई हुई। एसीजेएम पंचम उज्ज्वल उपाध्याय की अदालत में अधिवक्ता की तरफ से अनुरोध के बाद मामले को दो अगस्त तक टाल दिया गया है। अदालत में वादी हरिशंकर पांडेय के अधिवक्ता अजय प्रताप सिंह और घनश्याम मिश्र ने आवेदन देकर कहा कि इस मामले से जुड़े सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता आरपी शुक्ला गंभीर रूप से बीमार हैं। उनका दिल्ली में डायलिसिस चल रहा है। मामले में रूलिंग भी दाखिल करनी है। इसलिए सुनवाई की अगली तिथि दी जाए। जिस पर अदालत ने सुनवाई की अगली तारीख दो अगस्त नियत कर दी।
पूजा-अर्चना की अनुमति के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल
ज्ञानवापी परिसर में मिले शिवलिंग की पूजा अर्चना करने की मांग को लेकरसुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई है. इसमें कहा गया है कि सावन का महीना शुरू हो गया है. ऐसे में भोलेनाथ के भक्तों को वहां धार्मिक अनुष्ठान करने की अनुमति प्रदान की जाए. बता दें, ज्ञानवापी सर्वे के दौरान शिवलिंग मिलने का दावा किया गया था. श्री कृष्ण जन्म भूमि मुक्ति स्थल के अध्यक्ष राजेश मणि त्रिपाठी ने याचिका दाखिल कर कहा कि सावन का महीना शुरू हो चुका है. लिहाजा हिंदुओं को पूजा करने की अनुमति दी जाए. याचिकाकर्ता ने कहा कि वाराणसी कोर्ट के आदेश के तहत एक सर्वे किया गया था. इस दौरान ज्ञानवापी मंदिर में शिवलिंगमिला है. अब हम वहां पर अपनी धार्मिक प्रथाओं के अनुसार पूजा-अर्चना करना चाहते हैं. याचिकाकर्ता ने कहा है कि उन्हें और उनके शिष्यों को वाराणसी में ज्ञानवापी मंदिर के परिसर में धार्मिक अनुष्ठान करनेकी अनुमति दी जाए. इसके साथ ही कहा है कि हालांकि उस स्थान को कोर्ट के आदेश पर संरक्षित किया गया है, लेकिन फिर भी भगवान शिव के भक्तों को उस स्थान पर पूजा और अनुष्ठान करने की परमिशन दी जाए.